गन्ने की उन्नत किस्मों की खेती देगी आपको अधिक पैदावार किसानों के लिए गन्ने की खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है, खासकर जब उन्नत किस्मों का चयन किया जाए। गन्ना न केवल चीनी उद्योग का मुख्य आधार है, बल्कि इससे जुड़े उत्पाद जैसे गुड़, शराब और बायोएथेनॉल भी बाजार में मांग रखते हैं। ऐसे में, गन्ने की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान अपनी पैदावार और आय में वृद्धि कर सकते हैं।
उन्नत किस्मों का महत्व
गन्ने की उन्नत किस्में पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादक और रोग प्रतिरोधी होती हैं। ये किस्में कम समय में अधिक पैदावार देती हैं और कीटों तथा बीमारियों के प्रति सहनशील होती हैं। इसके अलावा, इन किस्मों में चीनी की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य मिलता है।
गन्ने की प्रमुख उन्नत किस्में
भारत में कई शोध संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा गन्ने की उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
- को.-0238 (कोयनूर-0238): यह किस्म महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में लोकप्रिय है। इसमें चीनी की मात्रा अधिक होती है और यह सूखे के प्रति सहनशील है।
- को.-86032 (कोयनूर-86032): यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में खेती के लिए उपयुक्त है। यह अधिक पैदावार देने वाली और रोग प्रतिरोधी किस्म है।
- को.-94012 (कोयनूर-94012): यह किस्म तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में खेती के लिए अनुशंसित है। इसमें चीनी की मात्रा अधिक होती है और यह लाल सड़न रोग के प्रति सहनशील है।
- को.-15023 (कोयनूर-15023): यह किस्म पंजाब और राजस्थान में खेती के लिए उपयुक्त है। यह अधिक उत्पादक और कीट प्रतिरोधी है।
उन्नत किस्मों के लाभ
- अधिक पैदावार: उन्नत किस्में पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-25% अधिक पैदावार देती हैं।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: ये किस्में लाल सड़न, उकठा और कीटों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं।
- कम समय में तैयारी: कुछ उन्नत किस्में कम समय में तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को अगली फसल के लिए समय मिल जाता है।
- बेहतर गुणवत्ता: इन किस्मों में चीनी की मात्रा अधिक होती है, जिससे किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य मिलता है।
खेती के लिए जरूरी सुझाव
- मिट्टी की तैयारी: गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए।
- बीज का चयन: स्वस्थ और रोगमुक्त बीजों का चयन करें। बीजों को बोने से पहले उपचारित कर लेना चाहिए।
- सिंचाई: गन्ने की फसल को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। खासकर गर्मियों में नियमित सिंचाई करनी चाहिए।
- खाद और उर्वरक: गन्ने की फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। मिट्टी की जांच के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करें।
- रोग और कीट नियंत्रण: नियमित रूप से फसल की निगरानी करें और रोग या कीट के लक्षण दिखने पर तुरंत उपचार करें।
गन्ने की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान न केवल अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। सही किस्म का चयन, उचित खेती प्रबंधन और समय पर सिंचाई व उर्वरकों का उपयोग करके किसान गन्ने की खेती से अधिक लाभ कमा सकते हैं।